Charchaa a Khas
बगैर एकजुटता की अपनी शान को बचाना संभव नहीं है। आन-बान-शान की रक्षा के लिए अब यदि एकजुट नहीं हुए तो आने वाले दिनों में आपकी दुर्दशा पर आंसू बहाने वाले कोई नहीं मिलेगें और इस दुर्भाग्य के लिए अपने पुर्वजों को कोसेंगे कि समय रहते एक होने के लिए हमें जागृत नहीं किया। इसलिए समय रहते जगो भाइयों और बहनों। हमारे बहुत से नेता एकीकृत वैश्य समाज निर्माण की कोशिश करते-करते अपनी शहादत तक दे बैठे फिर भी हम वैश्य वर्गीकरण में बटकर जाति पोषित समाज में जी रहे हैं। वैश्य 75% आबादी का पेट भरता है। 100% की आबादी को सुविधा मुहैया कराता है। सरकारी नौकरी के बाद सबसे बड़ा रोजगार मुहैया कराने वाली जाति है वैश्य समाज है। अपनी गाढ़ी कमाई के पैसे से सर्वाधिक स्कूल, काँलेज, अस्पताल पूजाघर आदि समाज को देने वाली जाति है वैश्य समाज।
कारण एकीकृत वैश्य समाज का अभाव।
अपहरण, हत्या, लूट, डकैती का सर्वाधिक शिकार होते हैं वैश्य।
देश को सर्वाधिक साहित्यकार देने वाली जाति वैश्य और ब्राह्मण है।
अफसरशाही का शिकार वैश्य होता है।
सेलटैक्स और इनकमटैक्स के लिए सर्वाधिक प्रताड़ित होने वाला वैश्य समाज है।
समाज में सर्वाधिक उपेक्षित जाति वैश्य।
यादव/कुर्मी हमें पिछड़ी जाति का नहीं मानता और सवर्ण हमें पिछड़ी जाति के होने के कारण प्रताड़ित करता है या तो फिर अपना उल्लू सीधा कर हमें ठगता है।
सभी मीडिया संस्थान वैश्य का लेकिन इसमें रोजगार 99% सवर्णों को।
यदि अभी नहीं सुधरे तो आपकी अगली पीढी छोटी सी दुकानदारी कर अपना पेट भी नहीं भर पायेंगे
सवर्णों के हाथ में ऐजेंसियां जा रही है। वह छोटे दूकान खोल व्यवसायी बन रहा है बची खुची कसरत माँल निकाल रही है। ऐसे में आनेवाले 50 वर्षों में 80% वैश्य के हाथ से व्यवसाय छिन जायेगा।
हर तरीके से हम सक्षम हैं फिर भी लाचार हैं।
अब ये कोई मत कहियेगा नेतागिरी के लिए वैश्य एकजुटता की कवायद है।
स्पष्ट कर चुका हूँ।
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 60 से ज्यादा विधायक यादव जाति के हैं। कारण यादव में भी वर्गीकरण है लेकिन वोटिंग के समय उसका सर्वाधिक मत यादव प्रत्याशी के पक्ष में होता है चाहे वह किसी भी पार्टीयों से हों।
इसलिए एकीकृत वैश्य जाति की बहुत बड़ी आवश्यकता है तभी अपनी रक्षा और सुरक्षा कर पायेंगे व समाज को संरक्षित कर अपने बजूद पर इतरा सकेंगे वर्ना ……..